Saturday, May 18th, 2024

मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास पहुंचा भोज का एलएलएम पुनर्मूल्यांकन

आरसी पांडे, भोपाल। मप्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में संचालित एलएलएम उत्तरार्द्ध के 5 परीक्षार्थियों को दी गई छह माह बाद पुनर्मूल्यांकन की अनुमति भोज प्रशासन के गले की हड्डी बन गई है। अब यह मामला सीएम हाउस तक पहुंच गया है। बताया जा रहा है कि शीघ्र ही इसमें कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है। ज्ञातव्य हो कि नवागत रजिस्ट्रार डॉ. एचएस त्रिपाठी द्वारा आदेश को नियम विरुद्ध बताते हुए निरस्त कर जांच के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं।

ज्ञातव्य हो कि इन 5 परीक्षार्थियों में एक परीक्षार्थी एडीपीओ ग्वालियर का अधिकारी होने के साथ-साथ वेे आरआरएस से जुड़े होंने बताया है। इसके चलते उन्हें पास करने के लिए रिवैल्यूएशन का फंडा अपनाया गया था। भोज विवि कुलपति डॉ. जयंत सोनवलकर ने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में संचालित एलएलएम उत्तरार्द्ध के 5 परीक्षार्थियों को पुनर्मूल्यांकन करवाए जाने की अनुमति दी गई थी। एक विचाराधारा से संबंध रखने वाले एक परीक्षार्थी को लाभ पहुंचाने के लिए उन्होंने नियमों के विपरीत जाकर यह निर्णय लिया गया था। बताया जाता है कि अखबारों में यह मामला आने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय इसे संज्ञान में लिया है और पूरे मामले की फाइल भोज विवि से तलब की गई है। विवि द्वारा 25 अक्टूबर 2018 को जारी एलएलएम उत्तरार्द्ध के परीक्षा परिणाम में फेल 5 परीक्षार्थियों को पुनर्मूल्यांकन के माध्यम से पास करवाने की तैयारी कर ली गई। उन्होंने 7 मार्च 2019 को पांचों परीक्षार्थियों के आवेदन में अर्जेंट डायरेक्टर (एई) को पुनर्मूल्यांकन हेतु निर्देशित किया गया। इस पर निदेशक प्रवेश एवं मूल्यांकन ने स्नातकोत्तर प्रभारी राजेश सक्सेना को तत्काल एमपी आॅनलाइन के माध्यम से आवेदन जमा करवाए गए। सक्सेना द्वारा तत्काल एमपी आॅनलाइन से लिंक ओपन करवा कर आवेदन जमा करवा कर भोपाल के चुनिंदा लॉ प्रोफेसरों से पुनर्मूल्यांकन करवाया गया है। एक सप्ताह से भी कम समय में आॅनलाइन पर परीक्षा परिणाम घोषित करने की तैयारी भी कर ली गई थी। जबकि विश्वविद्यालय के नियमानुसार परीक्षा परिणाम घोषित होने के एक माह (30 दिन) में पुनर्मूल्यांकन व पुनर्गणना के आवेदन जमा करवाए जाते हैं।

इनका कहना है

विवि अधिनियम में रिवैल्यूएशन के नियमों में एक समय सीमा निर्धारित है। एलएलएम उत्तरार्द्ध की परीक्षा लगभग छह माह पूर्व हुई थी। इसलिए इसमें छात्रों को रिवैल्यूएशन की पात्रता नहीं थी। इसलिए रिवैल्यूएशन के नियम विरुद्ध आदेश का निरस्त कर दिया गया है।

-डॉ. एच.एस. त्रिपाठी, रजिस्ट्रार, भोज मुक्त विश्वविद्यालय

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